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jhansi ki rani biography in hindi

नमस्ते दोस्तों आज हम साहसी व बहादुर वीरांगना के बारे में जानने का प्रयास करेंगे jhansi ki rani biography in hindi , ये भी पढ़ें रानी दुर्गावती का इतिहास अठारहवीं सदी में भारत में अंग्रेजी राज्य का काफी विस्तार हो चुका था। एक-एक देशी राजाओं ने या तो उनकी अधीनता स्वीकार कर ली थी या उनसे पराजित होकर उनके द्वारा दी गई वार्षिक पेंशन के रूप में दया की भीख पाकर गुजारा कर रहे थे। उस समय इसी तरह एक रियासतदार बनारस में था चिमणा अप्पा चिमणा अप्पा का एक वफादार मुसाहिब था-मोरोपन्त तांबे । 19 नवम्बर, 1835 ई. को मोरोपन्त ताम्बे की पत्नी भागीरथी बाई ने एक सुन्दरसी कन्या को जन्म दिया। कन्या का नाम रखा गया - मनुबाई manubai । लक्ष्मीबाई , ( laxmibai ) उनकी ससुराल का नाम था। ताम्बेजी एक साधारण ब्राह्मण थे। वे तत्कालीन पेशवा के भाई, चिमाजी के यहाँ 50 रुपये मासिक पर नौकरी करते थे। मनु बाई जब तीन वर्ष की थी, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया तथा उसी समय चिमाजी का भी देहावसान हो गया। इसलिए तांबेजी काशी छोड़कर ब्रह्मावर्त में बाजीराव पेशवा के यहां जाकर रहने लगे। बाजीराव के दत्तक पुत्र नानासाहब और राव साहब क

Utarvaidik kal main female ki dasha

 Utarvaidik kal main female ki dasha kiya thi, उत्तरवैदिक काल में स्त्रियों की दशा किया थीं। इस पोस्ट में आज हम जानेंगे। • उत्तरवैदिक कालीन साहित्यिक कृतियों का अध्ययन करने से यही ज्ञात होता है कि इस समय से भारतीय नारी की दशा पतनोमुखी होने लगी थी। इसके उस समय में कई प्रत्यक्ष कारण पाये जाते हैं एक इस युग में जीवन की मान्यताओं और परिभाषाओं में यथेष्ठ अन्तर आ गया था। ये अवश्य पढ़ें वीरधर्म किया है  एक ओर मानव जीवन के आनन्दों की कल्पना की जाने लगी थी तो दूसरी ओर तप अर्थात् तपश्चर्या पर भी अधिकाधिक बल दिया जाने लगा। अतएव तपश्चर्या के महत्त्व पर अधिकतम ध्यान देने वाले उत्तरवैदिक कालीन आर्यों का स्त्रियों को उपेक्षित करना स्वाभाविक था। इसके अतिरिक्त वैदिक काल से निम्न वर्ण की कन्या लेने की प्रथा भी अब काफी दूषित हो चुकी थी। पहले निम्न वर्ण के कन्या लेने वाले व्यक्ति उसकी सौम्यता एवं योग्यता का समुचित रूप से ध्यान रखते थे और बहुधा वह कन्यायें भी विदुषी और गुणवती हुआ करती थी परन्तु इसके विपरीत उत्तरकालीन आर्यों की स्त्रियों में शिक्षा का अभाव था और वे अधिकतर अशिक्षित ही रह जाती थीं। यदि