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सितंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Hindi ke sarvashreshth upanyas konsa hai । उपन्यास हिंदी में

 नमस्कार दोस्तों आज हम आपको hindi ke sarvashreshth upanyas konsa hai हिंदी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कोनसा है उसके बारे में वर्णन करेंगे।  उपन्यास किसे कहते हैं भारत में कथाएं पहले भी लिखीं जा रही थी । मिसाल के तौर पर बाणभट्ट ने सातवीं शताब्दी में संस्कृत में कादम्बरी लिखीं थीं । पंचतंत्र एक और मशहूर उदाहरण हैं । इसके अलावा फारसी और उर्दू में साहस , वीरता और चतुराई के किस्सों की लंबी परंपरा थी । जिसे दास्तान कहते हैं । लेकिन ये कृतियां हम आज जिसे उपन्यास कहते हैं । भारत में आरंभिक उपन्यास बंगाली और मराठी में लिखें गए । मराठी का पहला उपन्यास बाबा पद्मणजी का यमुना पर्यटन 1857 में था । दक्षिण भारत में उपन्यास का दौर । दक्षिण भारतीय भाषा में भी उपन्यास औपनिवेशिक काल के दौरान ही आने लगें थे । कई शुरुआती उपन्यास तो अंग्रेजी उपन्यासों के अनुवाद के रूप में छपे गए । मिसाल के तौर पर मालाबार के उप न्यायाधीश , ओ, चन्दु मेमन  ने बेंजामिन डिज्रायली के उपन्यास हेनरीएटा टेम्पल का मलयालम में तर्जमा का अनुवाद करने की कोशिश की । मलयालम का पहला उपन्यास इंदुलेखा नामक उपन्यास सन 1889 में लिखा गया

France me Kranti की शुरुआत कब हुई

फ्रांस के प्राचीन इतिहास इन हिंदी में , नमस्कार  दोस्तों आज हम France me Kranti की शुरुआत कब हुई हैं, जिसके बारे में जिक्र करेंगे तो चलतें है आपने मुख्य पृष्ठ की ओर karanti के प्राचीन इतिहास जाने प्राचीन राजतंत्र के तहत फ्रांसीसी France सम्राट अपनी मर्जी से कर नहीं लगा सकता था। इसके लिए उसे एस्टेट्स जेनराल (प्रतिनिधि सभा) की बैठक बुला कर नए करों के अपने प्रस्तावों पर मंजूरी लेनी पड़ती थी। एस्टेट्स जेनराल एक राजनीतिक संस्था थी जिसमें तीनों एस्टेट अपने-अपने प्रतिनिधि भेजते थे। लेकिन सम्राट ही यह निर्णय करता था कि इस संस्था की बैठक के बुलाई जाए। इसकी अंतिम बैठक सन् 1614 में बुलाई गई थी। France me Kranti की शुरुआत हुई थी। फ्रांसीसी सम्राट लुई XVI ने 5 मई 1789 को नये करों के प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए एस्टेट्स जेनराल की बैठक बुलाई।France me Kranti की शुरुआत प्रतिनिधियों की मेजबानी के लिए वर्साय के एक आलीशान भवन को सजाया गया।  पहले और दूसरे एस्टेट ने इस बैठक में अपने 300-300 प्रतिनिधि भेजे जो आमने-सामने की कतारों में बिठाए गए। तीसरे एस्टेट के 600 प्रतिनिधि उनके पीछे खड़े किए गए। तीसरे ए

Hariyana ka history kab aarambha huaa/हरियाणा का इतिहास कब आरम्भ हुआ

 Hariyana ka history kab aarambha huaa/हरियाणा का इतिहास कब आरम्भ हुआ hariyana .हरियाणा का गौरवशाली इतिहास वैदिक काल से आरम्भ होता है। वैदिक कालीन सरस्वती नदी इसी राज्य से होकर बहती थी।  इसी नदी के तट पर वेदों की रचना की गयी। कौरवों और पाण्डवों के मध्य ऐतिहासिक महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र हुआ था, जो हरियाणा में ही है।  ये भी पढ़ें>> वीर तेजाजी का जन्म कब हुआ था अधिक जाने इसी राज्य के पानीपत नामक स्थान पर सोलहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी के मध्य में तीन निर्णायक युद्ध हुए। सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को पंजाब राज्य में मिला दिया।  बाद में राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप 1 नवम्बर, 1966 को आधुनिक हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया। उद्योग : इस राज्य में 42 हजार से अधिक छोटे पैमाने के औद्योगिक कारखाने तथा 380 बड़े व मध्यम दर्जे के कारखाने हैं। प्रमुख उत्पादन- चीनी, सीमेंट, कागज, पीतल का सामान, साइकिलें, ट्रैक्टर, जूते, टायर-ट्यूब, सिनेटरी का सामान, वनस्पति घी, पिंजौर का एच. एम. टी. (घड़ी और ट्रैक्टर) कारखाना, पानीपत का कम्बल और हथकरघ

Bharat main Casta pratha kiya hai| भारत में जाति प्रथा किया है

 Bharat main Casta pratha kiya hai भारत में जाति प्रथा किया है,  हम एक कहानी के माध्यम से आपको समझते के जाति प्रथा किया है तो चलतें है कहानी की ओर यह कहानी है इन्दुलेखा कि जो गरीब परिवार से हैं और नम्बूदरी ब्राह्मण है जो केरल के रहने वाले हैं । निम्न जातियाँ ' ( Casta ) और अल्पसंख्यक आपको पता है कि इंदुलेखा एक प्रेम कहानी थी । लेकिन यह ‘ उच्च जाति ' की एक वैवाहिक समस्या से भी रू-ब-रू थी जिस पर इसके लिखे जाने ३ के वक्त वाद-विवाद चल रहा था। नम्बूदरी ब्राह्मण उस समय केरल के बड़े जमींदार थे और नायरों का एक बड़ा तबका उनके रैयत/लगानदार थे। अपने आप धन अर्जित कर अमीर बने नायरों की नयी पीढ़ी नायर महिलाओं के साथ नम्बूदरी ब्राह्मणों के रिश्ते पर आपत्ति जताने लगी। वे चाहते थे कि शादी और संपत्ति को लेकर नए कानून बनाए जाएँ। इस विवाद के आलोक में इंदुलेखा को पढ़ना काफ़ी दिलचस्प होगा। जो इंदुलेखा से शादी के लिए आनेवाले सूरी नम्बूदरी नामक बेवकूफ़ ज़मींदार को इस उपन्यास के व्यंग्य का शिकार बनाया गया है। बुद्धिमान नायिका उसको अस्वीकार कर देती है, और पढ़े-लिखे, सुंदर, नायर माधवन को चुनती है, फिर य

Shreeram charitamanas 'के दोहे

 श्रीरामचरितमानस के दोहे हिंदी में Shreeram charitamanas hindi main (अरण्य काण्ड, नवधा भक्ति new ram दोहे हिंदी में) (आओ मानस के इस अंश को कंठस्थ करें ) ताहि देइ गति ram उदारा सबरी के आश्रम पगु धारा ॥ सबरी देख राम गृह आए। मुनि के बचन समुझि जियँ भाए। शबरी जी ने श्रीरामचन्द्र जी को घर में आये देखा, तब मुनि मतंग जी के वचनों को याद करके उनका मन प्रसन्न हो गया। ram for sale नहीं करनी चाहिए तस्वीरें को ram 2021 के दोहे हैं सरसिज लोचन बाहु बिसाला जटा मुकुट सिर उर बनमाला। स्याम गौर सुंदर दोउ भाई। सबरी परी चरन लपटाई | कमलसदृश नेत्र और विशाल भुजा वाले, सिर पर जटाओं का मुकुट और हृदय पर वनमाला धारण किये हुए सुन्दर साँवले और गोरे दोनों भाइयों के चरणों में शबरी जी लिपट पड़ीं। प्रेम मगन मुख वचन न आवा। पुनि पुनि पद सरोज सिर नावा॥ सादर जल लै चरन पखारे। पुनि सुंदर आसन बैठारे ॥ वे प्रेम में मग्न हो गयीं, मुख से वचन नहीं निकलता। बार-बार चरणकमल में सिर नवा रही हैं। फिर उन्होंने जल लेकर आदरपूर्वक दोनों भाइयों के चरण धोये और फिर उन्हें सुन्दर आसनों पर बैठाया। ये पोस्ट भी पढ़ें->> देवनारायण भगवान

maharana pratap history in Hindi महाराणा प्रताप

maharana pratap hindi history_महाराणा प्रताप का इतिहास  maharana pratap hindi history _ महाराणा प्रताप का गौरवशाली इतिहास   हिन्दुस्तान  में अनेक राजा-महाराजा , सामंत, प्रजा ने अपने बलिदानों से इस भूमि को सींचा है, पर ये एक नाम न जाने क्यों अलग सी छाप छोड़ जाता है biography of maharana pratap in hindi - महाराणा प्रताप कि जीवन हिंदी में महाराणा प्रताप कि जीवन के बारे जानेंगे । सबसे पहले महाराणा प्रताप का पुरा नाम अक्षर लोग महाराणा प्रताप के नाम से हि जानते हैं लेकिन उनका नाम " महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया " है और भी नाम है उनका वह हैं। राणा किका के नाम से भी जाने जाते हैं  महाराणा प्रताप जयंती महाराणा प्रताप सिंह जी का जन्म सन 9 मई 1540 में स्थान अरावली पर्वतमाला में बचा हुआ गढ़ कुंभलगढ़ में हुआ था जो  ये पोस्ट भी पढ़ें >> देवनारायण भगवान की कथा वह बगड़ावत का इतिहास maharana history-  महाराणा प्रताप , एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी तारीफ अपनों से पहले शत्रु के खेमे में होती थी अबुल फ़ज़ल अकबरनामा में लिखता है "जो फ़रमान शहंशाह हिंदुस्तान भर में जारी करते थे, वो मेव

olympics at India ओलंपिक के लिये सुनहरा दिन

 olympics at India ओलंपिक के लिये सुनहरा दिन! olympics at India ओलंपिक के लिये यह 1, सुनहरा दिन था ।क्योंकि उन्होंने देश के लिए पांच पदक जीते, जिसमें 2 स्वर्ण अवनि और सुमित शामिल थे। निशानेबाज अवनि लेखारा ने इतिहास रच दिया 2020 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का  वह Paralympics में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं, जिन्होंने आर -दो महिलाओं की दस मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच एक इवेंट में पोडियम के शीर्ष पर अपना रास्ता बनाया। नवोदित सुमित ने F64 वर्ग के स्वर्ण के लिए कई बार अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ा,  यह पोस्ट पढ़ें >> olympics  एथलेटिक्स Tokiyo Paralympics Panjshir taliban ka yuddh ki jankari जबकि अनुभवी देवेंद्र झाझरिया की F46 श्रेणी की रजत ने भारत के सबसे महान पैरा-एथलीट होने की स्थिति को मजबूत किया क्योंकि भाला फेंकने वालों ने सोमवार को पैरालिंपिक में देश के ट्रैक और फील्ड पदक की दौड़ का नेतृत्व किया। .  अन्य भाला फेंक खिलाड़ी सुंदर सिंह गुर्जर ने झझरिया की स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, जबकि चक्का फेंक खिलाड़ी योगेश कथूनिया के F56 रजत ने सुनिश्चित किया

Devnarayan bhagwan ki katha-देवनारायण भगवान की कथा

 Devnarayan bhagwan ki katha-देवनारायण भगवान की कथा नमस्कार दोस्तों आपका हमारे बेबसाइट" इतिहास हिन्दी में आपका स्वागत है आज हम देवनारायण भगवान की कथा या उनके जीवन लीला के बारे में जानेंगे इतिहास के पन्नों में देवनारायण भगवान का नाम सबसे पहले आता है जिसे भगवान देवनारायण को भगवान विष्णुदेव का अवतार भी कहा जाता है।  चौहान वंश बगड़ावत गुर्जरों की वंशावली देवनारायण भगवान का इतिहास जानें कि भगवान देवनारायण की उत्पत्ति कहां से हुई ऐतिहासिक रूप से वर्तमान भारतवर्ष के मध्ययुगीन गुर्जर देश की भूमि पर शाक भरी के चौहान कुल में उत्पन्न बाघरावत के 24 पुत्रों हुए जिसमें सवाई भोज बगडावत बड़े थे सवाई भोज के 24 भाई को बगड़ावत कहा जाता है उनके पिताजी बाघजी रावत के नाम से बगड़ावत नाम पड़ा था ये पोस्ट पढ़ें>> पाबुजी राठौड़ का इतिहास ये पोस्ट पढ़ें >> बोराज का युद्ध के बारे मैं    सवाई भोज को भगवान शिवशंकर द्वारा बारह वर्ष की काया माया के वरदान की प्राप्ति थी। बगड़ावतों के दानवीरता और शौर्यगाथा व बगड़ावतों की भक्ति और शक्तिरूप की चतुर्भुज भगवान नारायण द्वारा छळपूर्वक परीक्षा कि गई

गोरा-बादल का इतिहास(history in Hindi)

              गोरा-बादल का इतिहास जिनकी करना कोई होड. अपने स्वामी के खातिर प्राण दे ऐसा वीर कहा वे गोरा-बादल होई दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी । जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी।। ये पोस्ट पढ़ें>> विरमदेव सोनीगरा ये पोस्ट पढ़ें>> पाबुजी राठौड़ का इतिहास . रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने। कालजई मित्रों से मिलकर दगा किया खिलजी ने।। खिलजी का चित्तौड़दुर्ग में एक संदेशा आया। जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया।। दस दिन के भीतर न पद्मिनी का डोला यदि आया। यदि ना रूप की रानी को तुमने दिल्ली पहुँचाया।। तो फिर राणा रत्न सिंह का शीश कटा पाओगे। शाही शर्त ना मानी तो पीछे पछताओगे।। यह दारुण संवाद लहर सा दौड़ गया रण भर में। यह बिजली की तरह क्षितिज से फैल गया अम्बर में।। महारानी हिल गयीं शक्ति का सिंहासन डोला था सतित्व मजबूर जुल्म विजयी स्वर में बोला था।। रुष्ट हुए बैठे थे सेनापति गोरा रणधीर जिनसे रण में भय खाती थी खिलजी की शमशीर।। अन्य अनेको मेवाड़ी योद्धा रण छोड़ गए थे। रत्न सिंह की संधि नीति से नाता तोड़ गए थे।। पर रा