Panjavan devji ki veer ghatha पंजवन देवजी की वीर गाथा=आमेर नरेश पंजवन देव जी कच्छवाहा : एक महान धनुर्धर एवम पराक्रमी योद्धा पंजवन देव जी सम्राट पृथ्वीराज के अहम सहयोगी थे। इनका विवाह पृथ्वीराज चौहान के काका कान्ह की पुत्री पदारथ दे के साथ हुआ। यहां प्रश्न उठता है कि लोग किस आधार पर पृथ्वीराज को गुर्जर बता रहे है जबकि इनके वैवाहिक संबंध आमेर के कच्छवाहा राजपूतों के साथ रहा पजवन देव जी ने स्वयं के नेतृत्व में कुल 64 युद्ध जीते थे । प्रारंभिक रूप से भोले राव पर विजय प्राप्त की , (राजा भीम सोलंकी गुजरात का राजा था इसे भोला भीम कहा जाता था) ।पृथ्वीराज चौहान ने इन्हें बाद में नागौर भेजा। पृथ्वीराज और गोरी के बीच लड़े गए अधिकतर युद्धों में नेतृत्व इन्होंने ही किया। जब गोरी से प्रथम बार सामना हुए तब मुस्लिम सेना की संख्या 3 लाख के करीब थी। परंतु पजवन जी के पास केवल 5000 सैनिकों की फौज थी। इसलिए पंजवन जी के लोगो ने अरज किया कि- "अपने पास सेना बहुत कम है और गौरी के पास बहुत अधिक है इसलिए युद्ध मत करो, वापिस चलो।" तब पंजवन जी कछवाहा ने कहा कि- " पृथ्वीराज को जाकर क्या कहेंगे। फिर
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