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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

महाराणा संग्राम सिंह जी की लड़ाई Maharana sangram singh

 महाराणा संग्राम सिंह जी की लड़ाई maharana sangram Singh  राजपूताना की पावन धरा जिसे सूरवीरों की जन्मदात्री भी कहा जाता है, भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसी धरा के मेवाड़ अंचल के जिक्र बिना राजपूताना का बखान अधूरा सा है , जहा के अनगिनत सूरवीरों के बलिदान से यहां की मिट्टी रंगी है। राजस्थान के गौरव केंद्र मेवाड़ की मिट्टी के इन्हीं वीरों में एक नाम आज भी गूंजता है जिन्हे इतिहास में राणा सांगा जी के नाम से जाना गया जिन्होंने एक आंख , एक हाथ तथा एक पांव गंवाने से साथ कुल 80 घावों का वीर श्रृंगार अपनी देह पर सजाया और रक्त के अंतिम कतरे तक वह अपनी मातृभूमि के लिए शत्रुओं से लोहा लेते रहे । अपने पूरे जीवन काल में लगभग 100 युद्धों का नेतृत्व किया और सभी में विजय रहे। दिल्ली की लोदी सल्तनत को धूल चटा कर सांगा जी भारत का सम्राट बनने की और अग्रसर थे लेकिन तभी लोदी के गर्वनर के आमंत्रण पर बाबर का भारतीय सरजमीं पर प्रवेश होता है जिसे बयाना के युद्ध में स बुरी तरह से सिकस्ट खानी पड़ी। मुग़ल जनरल मंसूर बरलास ने राजपूतों द्वारा मुगलों के कुचले जाने का वर्णन कुछ ऐसे किया - राजपूतों में

राजमाता जीजा बाई (rajmata jeeja bai)

 राजमाता जीजा बाई राजमाता जीजा बाई rajmata jeeja bai की जयंती  12 जन. 1598 ई.को मनाई जाती हैं  जीजा बाई ! वह नारी जिसने बचपन से अपने पुत्र राजे को श्री राम की मर्यादा के साथ-साथ श्रीकृष्ण की कूटनीति भी सिखायी, धार्मिक ग्रन्थों के साथ ही शस्त्रों में भी निपुण बनाती हैं।  इन्ही जीजा बाई के कारण शिवबा वह व्यक्ति बने जिनके जीवन का ध्येय उनके जन्म से भी पहले तय हो चुका था।  पचरंगा क्या है  बचपन से ही उनके मन-मस्तिष्क को स्वराज्य से ओत-प्रोत किया जा चुका था उसी का परिणाम रहता है कि मात्र १६ वर्ष की उम्र में तोरणा का किला स्वराज्य का तोरण बन जाता हैं।  जब तक शिवबा बड़े होते हैं तब तक वह उनके लिए, स्वराज्य के लिए, अपना सबकुछ समर्पित करने वाले पंत योद्धा सहयोगी तैयार कर चुकी होती हैं, सभी देशमुखों, गायकवाड़, मोहिते, पालकर सभी मराठाओं को संगठित करने हेतु प्रयासरत रहती हैं।  जब आदिलशाह स्वराज्य की क्रांति अस्त करने हेतु छल से शाहजी राजे को बन्दी बना लेता हैं, यह स्थिति देख शिवाजी भी एक पल के लिए ठहर जाते हैं तब वह जीजा बाई ही थी जो उनमें उत्साह का संचार करती हैं और सावित्री के समान उस काल की कोख

तोपखाना (enginery)

तोपखाना (enginery)  मध्यकाल से राजपूताना और भारतीय सरजमीं पर तोप का युद्ध स्तर पर प्रथम बार प्रयोग ख़ानवा युद्ध में माना जाता है। संभवत: यही से युद्ध क्षेत्र और दुर्ग सुरक्षा में इनका उपयोग बहुतायत से प्रारम्भ हुआ । तोपों के हथियार खाने और उन्हें दागने वाले कारीगर ( सैनिक ) का मिश्रित रूप तोप खाना (eginery)  कहलाता है। राजपूताना में लगभग सभी रियासतों का अपना-अपना तोपखाना था। तोपों के आकार और प्रयोग के आधार पर इन्हे दो भागों में विभाजित किया गया है -  १. जिन्सी तोपखाना २. दस्ती तोपखाना  १. जिन्सी :- इस श्रेणी में भारी तोपें होती थी जिन्हें रामचंगी कहते थे जो 10 से 12 सैर तक का गोला फेंक सकते थे और जिन्हें कई बेल की सहायता से खींचा जाता था। २. दस्ती :- हल्के वजन की होती थी जो विभिन्न नामों से जानी जाती थी इनमें मुख्य थी- •नरनाल ', - लोगो की पीठ पर ले जाया जाने वाला हल्का तोपखाना। पंजवन देव कि गाथा जाने •शुतरनाल' - ऊंठ पर ले जाई जाने वाली छोटी तोपें (cannon) , जो ऊंट को बिठाकर चलाई जाती थी। •गजनाल / हथनाल - हाथी की पीठ पर लाद कर ले जाने वाला तोपखाना था। •रहकला' - कागजातों मे

पचरंगा (pachranga)

 पचरंगा (pachranga) नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे blog. Marudha1.blogspot.com में आज हम जानेगे पचरंगा(panchranga)  के बारे में पचरंगा का मतलब हैं झंडा जो कि राजा महाराजाऔ का राज्य या राष्ट्र का झंडा हुआ करता था | किसी भी राजा या धर्म की ध्वजा उनके वर्चस्व, प्रतिष्ठा, बल और इष्टदेव का प्रतीक होता है। हर राजा, देश या धर्म की अपनी अपनी अलग अलग रंग की ध्वजा (झण्डा) होती है। सनातन धर्म के मंदिरों में भगवा व पंचरंगा ध्वज लहराते नजर आते है। भगवा रंग सनातन धर्म के साथ वैदिक काल से जुड़ा है, हिन्दू साधू वैदिक काल से ही भगवा वस्त्र भी धारण करते आये है। लेकिन मुगलकाल में सनातन धर्म के मंदिरों में पंचरंगा ध्वज फहराने का चलन शुरू हुआ। जैसा कि ऊपर बताया जा चूका है ध्वजा वर्चस्व, प्रतिष्ठा, बल और इष्टदेव का प्रतीक होती है। अपने यही भाव प्रकट करने के लिए आमेर के राजा मानसिंह ने कुंवर पदे ही अपने राज्य के ध्वज जो सफ़ेद रंग का था को पंचरंग ध्वज में डिजाइन कर स्वीकार किया। राजा मानसिंहजी ने मुगलों से सन्धि के बाद अफगानिस्तान (काबुल) के उन पाँच मुस्लिम राज्यों पर आक्रमण किया, जो भारत पर आक्रमण करने व