राजमाता जीजा बाई
राजमाता जीजा बाई rajmata jeeja bai की जयंती 12 जन. 1598 ई.को मनाई जाती हैं जीजा बाई ! वह नारी जिसने बचपन से अपने पुत्र राजे को श्री राम की मर्यादा के साथ-साथ श्रीकृष्ण की कूटनीति भी सिखायी, धार्मिक ग्रन्थों के साथ ही शस्त्रों में भी निपुण बनाती हैं।
इन्ही जीजा बाई के कारण शिवबा वह व्यक्ति बने जिनके जीवन का ध्येय उनके जन्म से भी पहले तय हो चुका था।
पचरंगा क्या है
बचपन से ही उनके मन-मस्तिष्क को स्वराज्य से ओत-प्रोत किया जा चुका था उसी का परिणाम रहता है कि मात्र १६ वर्ष की उम्र में तोरणा का किला स्वराज्य का तोरण बन जाता हैं।
जब तक शिवबा बड़े होते हैं तब तक वह उनके लिए, स्वराज्य के लिए, अपना सबकुछ समर्पित करने वाले पंत योद्धा सहयोगी तैयार कर चुकी होती हैं, सभी देशमुखों, गायकवाड़, मोहिते, पालकर सभी मराठाओं को संगठित करने हेतु प्रयासरत रहती हैं।
जब आदिलशाह स्वराज्य की क्रांति अस्त करने हेतु छल से शाहजी राजे को बन्दी बना लेता हैं, यह स्थिति देख शिवाजी भी एक पल के लिए ठहर जाते हैं तब वह जीजा बाई ही थी जो उनमें उत्साह का संचार करती हैं और सावित्री के समान उस काल की कोख से भी अपने पति को निकाल लाती हैं। वह बिना संकोच के कहती है कि पति की स्वतंत्रता से भी बढ़कर हैं स्वराज्य की अस्मिता और मुगल सुल्तान शाहजहाँ को पत्र द्वारा अपने सुहाग की रक्षा करती हैं।
महाकवि परमानन्द अपने ग्रन्थ “शिवभारत” में माँ जीजा को समस्त पतिव्रता स्त्रियों के लिए आदर्श बताते है। पुणे की जागीर में बारह मावलों को संगठित करने से प्रारंभ हुआ वह ईश्वरीय कार्य राजगढ़ में पण्डित गागाभट्ट द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के राजतिलक पर स्वराज्य का सिंहनाद करता हैं। जीजामाता अनिमिष नेत्रों से सब कुछ देखती रही, राजदण्डधारी प्रियतम मातोश्री शिवबा को निहारती रही।अब उनका वह पुत्र शिवबा हिन्दवी साम्राज्य संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज हो चुके थे। उनकी आँखों से आनंदाश्रु और दुःखाश्रु दोनों एक साथ बहते रहे, बचपन के स्वराज्य के ध्येय प्राप्ति के आनंदाश्रु और हुतात्माओं के स्मरण से दुःखाश्रु और इस प्रकार माँ जीजा बाई ने अपने पुत्र शिवाजी द्वारा अपना स्वराज्य का वह स्वप्न साकार किया। मानों वह पुण्यात्मा इसी दिन के लिए ही जी रही थी।
समय चाहें तब का हो या आज का, यदि हमें स्वराज्य के लिए मर-मिटने वाले योद्धा तैयार करने हैं, शिवाजी जैसा स्वराज्य संस्थापक चाहिए तो निःसन्देह हमें घर-घर में माँ जीजा तैयार करनी होगी,
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