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पाति परवन परम्परा, क्या है जाने Pati pervan parmpara

 पाति परवन परम्परा "क्या है जाने Pati parvan parmpara 

पाति परवन परम्परा, pati parvan prarmpara अर्थात अधर्मी व विदेशी बर्बर आक्रांताओं को हिंदू साम्राज्य की सीमाओं से खदेड़ने हेतु सनातनी राजाओं का एक संगठन के रूप में सहयोग करना जिसमे शपत ली जाती थी कि -

 " जब तक इस देह में प्राण है तब तक इस वीर भूमि भारतवर्ष पर अधर्मीयों का अधिपत्य नहीं होने देंगे। " 



पाति परवन परम्परा राजपुत कालीन एक प्राचीन परम्परा जिसे राजपूताना में पुनजीर्वित करने का श्रेय राणा सांगा जी

 ( संग्राम सिंह प्रथम - मेवाड़ ) को दिया जाता है। राजपूताने के वे पहले शासक थे

 जिन्होंने अनेक राज्यों के राजपूत राजाओं को विदेशी जाति विरूद्ध संगठित कर उन्हें एक छत्र के नीचे लाये । 


बयाना का युद्ध ( जिसमे बाबर बुरी तरह पराजित हुआ ) एवम् खानवा का युद्ध पाति परवन परम्परा के तहत ही लड़ा गया। 


बयाना युद्ध में विजय पश्चात सभी राजाओं द्वारा महाराणा सांगा को " हिंदूपत ( हिंदूपात ) की पदवी से विभूषित किया गया। जिसका तात्पर्य हिंदू सम्राज्य के राजाओं का महाराजा है।

खान्डा परम्परा क्या है जाने

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