गैटोर की छतरियां gaitor kee chhatariyaan - गैटोर की छतरियां अपनी राजपूत शिल्पकला की सुन्दरता का उदाहरण आमेर ( जयपुर ) के कच्छवाहा राजाओं की ये गैटोर की छतरियां संगमरमर और बलुआ पत्थर पर उत्कीर्ण पारम्परिक कला-प्रतीकों और परिश्रम से खोदे गये मनमोहक दृश्य-चित्रों की कमनीयता के लिहाज से बेजोड़ स्मारक हैं। Pabuji radhore ka itihas यह छतरियां पंचायन शैली में निर्मित है जो नाहरगढ़ किले की तलहटी में स्थित है। यह जयपुर का ऐतिहासिक कच्छवाहा शासकों का शाही श्मसान स्थल है जहां इनकी छतरियां है । यह छतरियां सवाई जय सिंह से प्रारंभ होती है जो सवाई मान सिंह जी द्वितीय तक की है । लेकिन यहा सवाई इश्वरी सिंह जी की छतरी नहीं है जिनकी छतरी सिटी पैलेस ( चन्द्र महल) परिसर में है। ये राजस्थान की प्राचीन वास्तुकला के सुन्दर उदाहरण हैं। सबसे सुंदर छतरी जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह की है, जिसकी एक अनुकृति लंदन के 'केनसिंगल म्यूजियम' में भी रखी गई है। गैतोरे की छत्रियां कछवाहा के लिए एक शाही श्मशान भूमि है, जो एक राजपूत वंश था जिसने इस क्षेत्र में शासन किया था। साइट को 18 वीं शताब्दी मे
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