राजा जय सिंह प्रथम ( कच्छवाहा ) ढूंढाड़ ( आमेर - जयपुर ) थे। जय सिंह जी प्रथम raja Jai Singh 1621 से 1667 के मध्य आमेर के शासक थे
History of Raja Jai Singh- राजा जय सिंह प्रथम का इतिहास |
Raja jai Singh राजा मान सिंह जी के पोत्र एवं माहस सिंह जी के इकलौते पुत्र थे । ये आमेर के 16 वें शासक थे।
इनका जन्म 15 जुलाई 1611 में हुआ । मान सिंह जी के पुत्र भाव सिंह जी की बंगाल अभियान के दौरान आकस्मिक मृत्यु के बाद जय सिंह प्रथम आमेर की गद्दी पर विराजमान हुए।
ये कुशल रणनीतिज्ञ एवम् हिंदू धर्म रक्षक थे । इनके काल में मुगल शासक भी हिंदू धार्मिक गतिविधिओं व पाठ पूजाओं में हस्तक्षेप नहीं करते थे । इनके शासन के दौरान प्रबल हिंदू विरोधी मुगल शासक औरंगजेब भी मंदिर तोड़ने की हिमाकत नहीं कर सका ।
जय सिंह प्रथम के समय आमेर के जोधपुर रियासत के साथ मित्रता के प्रगाढ़ संबंध रहे। पहले जोधपुर महाराजा गज सिंह एवम् उनके पुत्र जसवंत सिंह प्रथम के साथ भी काफी मित्रता रही । ( जैसा कि ऊपर के चित्र में प्रदर्शित है - जयसिंह प्रथम और जोधपुर महाराजा गज सिंह प्रथम सा साथ बैठकर वार्तालाप करते हुए कुछ आरोग रहे है ।)
Raja jai Singh की मृत्यु कैसे हुई थी ।
जय सिंह जी की ( 28 अगस्त 1667 ) में बुराहनपुर ( मध्य प्रदेश ) अभियान के दौरान षड़यंत्र पूर्वक जहर देकर उनकी हत्या कर दी गई।
जयसिंह जी के स्वर्ग सिधारने पर जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह प्रथम काफी व्यथित हो गए और उनके स्मरण करते हुए अकस्मात ही एक मर्सिया कहा -
घंट न बजे देवरा ,संक न माने साह !
एकरसा फिर आवज्यो, माहरू जयसाह !!
उपरोक्त दोहा जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह (प्रथम ) ने आमेर के राजा मिर्जा राजा जयसिंह (प्रथम ) कि म्रत्यु पर उन्हें याद करते हुए मर्सिया के रूप में कहा था.
" हे माहस सिंह के पुत्र जयसिंह ! आप के न रहने पर बादसाह (ओरंगजेब ) निसंक हो गया है. .मन्दिरों में घंटे व् झालरों का बजना बंद हो गया है। आप एक बार पुन: आएये ।
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