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Hindi ke sarvashreshth upanyas konsa hai । उपन्यास हिंदी में

 नमस्कार दोस्तों आज हम आपको hindi ke sarvashreshth upanyas konsa hai हिंदी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कोनसा है उसके बारे में वर्णन करेंगे। 

Hindi ke sarvashreshth upanyas


उपन्यास किसे कहते हैं

भारत में कथाएं पहले भी लिखीं जा रही थी । मिसाल के तौर पर बाणभट्ट ने सातवीं शताब्दी में संस्कृत में कादम्बरी लिखीं थीं । पंचतंत्र एक और मशहूर उदाहरण हैं । इसके अलावा फारसी और उर्दू में साहस ,वीरता और चतुराई के किस्सों की लंबी परंपरा थी । जिसे दास्तान कहते हैं। लेकिन ये कृतियां हम आज जिसे उपन्यास कहते हैं
भारत में आरंभिक उपन्यास बंगाली और मराठी में लिखें गए । मराठी का पहला उपन्यास बाबा पद्मणजी का यमुना पर्यटन 1857 में था ।

दक्षिण भारत में उपन्यास का दौर ।


दक्षिण भारतीय भाषा में भी उपन्यास औपनिवेशिक काल के दौरान ही आने लगें थे । कई शुरुआती उपन्यास तो अंग्रेजी उपन्यासों के अनुवाद के रूप में छपे गए । मिसाल के तौर पर मालाबार के उप न्यायाधीश , ओ, चन्दु मेमन  ने बेंजामिन डिज्रायली के उपन्यास हेनरीएटा टेम्पल का मलयालम में तर्जमा का अनुवाद करने की कोशिश की । मलयालम का पहला उपन्यास इंदुलेखा नामक उपन्यास सन 1889 में लिखा गया था यह मजेदार उपन्यास मलयालम का पहला आधुनिक उपन्यास माना गया हैं । 
आंध्र प्रदेश का मामला भी लगभग ऐसा ही रहा है । काडुकुरी वीरेशलिंगम सन 1848-1919 में ओलिवर गोल्डस्मिथ के शिकार ऑफ बेकफील्ड का तेलुगु अनुवाद शुरू किया पर उन्होंने भी वैसे ही यह योजना त्याग दी फिर 1878 में राजशेखर चरितमु लिखा गया था।

हिंदी उपन्यास का उदेय हुआ ।

हिंदी उपन्यास का उद्देय हुआ है उत्तर आधुनिक हिंदी साहित्य के पुरोधा, भारतेंदु हरिश्चंद्र, ने अपनी मंडली के कवियों व लेखकों को दुसरी भाषाओ में पुनर्रचना ओर अनुवाद करने को उत्साहित किया गया था ।
उनकी प्रेरणा से कई सारे उपन्यास अंग्रेजी या बंगाली से हिंदी में तो अनुदित हुए । हिंदी का पहला उपन्यास लिखने का श्रेय दिल्ली के श्रीनिवास दास को ही जाता है। जिसका नाम परिक्षा गुरु नामक उपन्यास सन 1882 में लिखा गया था । इस उपन्यास में खुशहाल परिवारों के युवाओं को बुरी संगत सोहबत के नैतिक खतरों से आगाह किया गया है । परिक्षा गुरु से नव निर्मित मध्यवर्ग की अंदुरुनी व बाहरी दुनिया का पता चलता है।

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