सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

गोरा-बादल का इतिहास(history in Hindi)

              गोरा-बादल का इतिहास
history of gora badal

जिनकी करना कोई होड. अपने स्वामी के खातिर प्राण दे ऐसा वीर कहा वे गोरा-बादल होई
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी ।

जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी।।

ये पोस्ट पढ़ें>> विरमदेव सोनीगरा
.
रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने।

कालजई मित्रों से मिलकर दगा किया खिलजी ने।।

खिलजी का चित्तौड़दुर्ग में एक संदेशा आया।

जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया।। दस दिन के भीतर न पद्मिनी का डोला यदि आया।

यदि ना रूप की रानी को तुमने दिल्ली पहुँचाया।।

तो फिर राणा रत्न सिंह का शीश कटा पाओगे।

शाही शर्त ना मानी तो पीछे पछताओगे।। यह दारुण संवाद लहर सा दौड़ गया रण भर में।

यह बिजली की तरह क्षितिज से फैल गया अम्बर में।।

महारानी हिल गयीं शक्ति का सिंहासन डोला था सतित्व मजबूर जुल्म विजयी स्वर में बोला था।। रुष्ट हुए बैठे थे सेनापति गोरा रणधीर जिनसे रण में भय खाती थी खिलजी की शमशीर।।

अन्य अनेको मेवाड़ी योद्धा रण छोड़ गए थे।

रत्न सिंह की संधि नीति से नाता तोड़ गए थे।। पर रानी ने प्रथम वीर गोरा को खोज निकाला।
वन वन भटक रहा था मन में तिरस्कार की ज्वाला।।
गोरा से पद्मिनी ने खिलजी का पैगाम सुनाया।
मगर वीरता का अपमानित ज्वार नहीं मिट पाया।। बोला मैं तो बहुत तुच्छ हू राजनीति क्या जानूँ।
निर्वासित हूँ राज मुकुट की हठ कैसे पहचानूँ।। बोली पद्मिनी, समय नहीं है वीर क्रोध करने का।

अगर धरा की आन मिट गयी घाव नहीं भरने का।।

दिल्ली गयी पद्मिनी तो पीछे पछताओगे।

जीते जी राजपूती कुल को दाग लगा जाओगे।।

राणा ने जो कहा किया वो माफ़ करो सेनानी।

यह कह कर गोरा के क़दमों पर झुकी पद्मिनी रानी।।

यह क्या करती हो गोरा पीछे हट बोला।

और राजपूती गरिमा का फिर धधक उठा था शोला।।

महारानी हो तुम सिसोदिया कुल की जगदम्बा हो

प्राण प्रतिष्ठा एक लिंग की ज्योति अग्निगंधा हो।।

जब तक गोरा के कंधे पर दुर्जय शीश रहेगा।

महाकाल से भी राणा का मस्तक नहीँ कटेगा।।

तुम निश्चिन्त रहो महलो में देखो समर भवानी।

और खिलजी देखेगा केसरिया तलवारो का पानी।।

राणा के सकुशल आने तक गोरा नहीँ मरेगा।

एक पहर तक सर कटने पर धड़ युद्ध करेगा।। एक लिंग की शपथ महाराणा वापस आएँगे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज का सम्पूर्ण इतिहास जाने

उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज का सम्पूर्ण इतिहास जाने उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज का" सम्पूर्ण इतिहास जाने- कुंवर पृथ्वी सिंह जिन्हें उड़ना पृथ्वीराज के नाम से भी इतिहास में जाना जाता है, मेवाड़ के महाराणा रायमल के ज्येष्ठ पुत्र थे व इतिहास प्रसिद्ध महाराणा सांगा के बड़े भाई। सांगा व कुंवर पृथ्वीराज दोनों झाला राजवंश में जन्मी राणा रायमल की रानी रतनकंवर के गर्भ से जन्में थे। कुंवर पृथ्वीराज अपने अदम्य साहस, अप्रत्याशित वीरता, दृढ निश्चय, युद्धार्थ तीव्र प्रतिक्रिया व अपने अदम्य शौर्य के लिए दूर दूर तक जाने जाते थे| इतिहासकारों के अनुसार अपने इन गुणों से “पृथ्वीराज को लोग देवता समझते थे|” पृथ्वीराज एक ऐसे राजकुमार थे जिन्होंने अपने स्वयं के बलबूते सैन्य दल व उसके खर्च के लिए स्वतंत्र रूप से आर्थिक व्यवस्था कर मेवाड़ के उन कई उदण्ड विरोधियों को दंड दिया जो मेवाड़ राज्य की परवाह नहीं करते थे| इतिहासकारों के अनुसार यदि पृथ्वीराज की जहर देकर हत्या नहीं की गई होती और वे मेवाड़ की गद्दी पर बैठते तो देश का इतिहास कुछ और ही होता| यदि राणा रायमल का यह ज्येष्ठ पुत्र पृथ्वीराज जीवित होता और सांगा के स्थान

पाति परवन परम्परा, क्या है जाने Pati pervan parmpara

 पाति परवन परम्परा "क्या है जाने Pati parvan parmpara  पाति परवन परम्परा , pati parvan prarmpara अर्थात अधर्मी व विदेशी बर्बर आक्रांताओं को हिंदू साम्राज्य की सीमाओं से खदेड़ने हेतु सनातनी राजाओं का एक संगठन के रूप में सहयोग करना जिसमे शपत ली जाती थी कि -  " जब तक इस देह में प्राण है तब तक इस वीर भूमि भारतवर्ष पर अधर्मीयों का अधिपत्य नहीं होने देंगे। "  पाति परवन परम्परा राजपुत कालीन एक प्राचीन परम्परा जिसे राजपूताना में पुनजीर्वित करने का श्रेय राणा सांगा जी  ( संग्राम सिंह प्रथम - मेवाड़ ) को दिया जाता है। राजपूताने के वे पहले शासक थे  जिन्होंने अनेक राज्यों के राजपूत राजाओं को विदेशी जाति विरूद्ध संगठित कर उन्हें एक छत्र के नीचे लाये ।  बयाना का युद्ध ( जिसमे बाबर बुरी तरह पराजित हुआ ) एवम् खानवा का युद्ध पाति परवन परम्परा के तहत ही लड़ा गया।  बयाना युद्ध में विजय पश्चात सभी राजाओं द्वारा महाराणा सांगा को " हिंदूपत ( हिंदूपात ) की पदवी से विभूषित किया गया। जिसका तात्पर्य हिंदू सम्राज्य के राजाओं का महाराजा है। खान्डा परम्परा क्या है जाने

World-Rabari caste has the most beautiful culture

 विश्व-रबारी जाति में सबसे सुंदर संस्कृति हैं  World-Rabari caste has the most beautiful culture विश्व स्तर में सुंदर वेशभूषा और संस्कृति में रबारी समाज दूसरे स्थान पर चुना गया यह समाज और देश के लिए बड़े गर्व की बात है वही संपूर्ण भारतवर्ष में नंबर एक पर चुना गया   अपनी   वेशभूषा केवल इंडिया में ही नहीं बल्कि पूरे वर्ल्ड में  दूसरा  स्थान प्राप्त किया है इसलिए मैं उन सभी महानुभव से निवेदन करूंगा कि जो आपने बुजुर्ग लोगों ने अपनी वेशभूषा को पहचान दी है हम सबके लिए बहुत ही गर्व की बात है हमारी संस्कृति इंडिया में नहीं विदेशों में सिंगापुर इंडोनेशिया के अंदर की गुजी हैं बड़े स्टेट पर जाकर भी लोगों ने सामान दिया है Most beautiful culture in the world  2nd number of rabari ( dewasi samaj)  पूरी दुनिया की संस्कृति में रबारी समाज  को  दूसरा_स्थान और भारत में एक नंबर स्थान मिलने पर बधाई हमारी संस्कृति म्हारो अभिमान मेरी वेशभूषा ही मेरी पहचान म्हारो समाज म्हारी ताकत यह पोस्ट पढ़ें >>  मेवाड़ रियासत वह इतिहास यह पोस्ट पढ़ें >> रेबारी समाज कि जनसंख्या बहुत-बहुत बधाई हो रबारी समाज की