वीर तेजाजी का जन्म कब हुआ
वीर तेजाजी दशमी कब है वीर तेजाजी की दशमी वर्ष 2021 में तेजा दशमी 16 सितंबर को हैं ताहरजी (थीरराज) और रामकुवरी के घर माघ शुक्ला,चोहस संवत 1130 यथा 1074 के दिन एक जाट कुल में तेजा जी का जन्म हुआ था यह बचपन से ही साहसिक कार्य करने लग गया थे तेजाजी महाराज का बचपन में ही विवाह हो गया था पेमल के साथ में
वीर तेजाजी के कितने भाई थे वीर तेजाजी के तेहड़ जी के कहड़जी, देवजी, दोसोजी चार भाई थे जिनमें देव जी की संतानों से आगे धूलिया गोत्र चला धोलिया वंश की उत्पत्ति खरनाल से हुई थी तेजाजी ने 11वीं सदी में गायों की की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दाव पर लगा दिए थे
तेजाजी का भाभी से संवाद - नियम समय के उपरांत तेजाजी की भाभी रोटियां लेकर आए तेजाजी बोले
बेल्य भूखा रात का बिना कलेवे तेज|
भावज था सु विनती कटे लगाई देर जेज|
देवर तेजाजी के गुस्से के भावज झेल नहीं पाई और काम से भी पीड़ित थी उसने चिडने के लहजे में कहा
मण पीस्यो मण पोयो कंवर तेजा रे |
मण को रान्यो खाटो खिचडो ,
लीलन खातर दल्यो दानों कंवर तेजा रे
साथे तो ल्याई भातो निरणी |
दोड़ी लार की लार आई कवर तेजा रे
म्हारा गीगा न छोड़ आई झेलै रोवतो रे
ऐहडा काई भूख भूखा कंवर तेजा रे
थारी तो परण्योडी बैटी बाप के |
ऐसा बोल सुन कर तेजाजी महाराज को गुस्सा आ जाता हैं भाभी का जवाब तेजाजी के कळेजे में चुभ गया तेजाजी ने रास और पुरानी फैकदी और ससुराल जाने की कसम खा बैठे तेजाजी महाराज की खेत में ती सीधा घर पर आ जाते और वहां मां से कहते हैं तेजाजी ने कहा मां मेरी शादी कब और किसके साथ हुई तेजाजी कि मां को खरनाल और पनेर की दुश्मनी याद आ गई पर बताने को मजबूर होकर मां बोल देती है
Tejaji maharaj ka history
ब्याव होती ही खांडा खड़कग्या बेटा बैर बठगो
थारा बाप के हाथा सू छोरी को मामो मरगो |
थारा मामोसा परणया पीला पोतडा |
गढ़ पनेर पड़ ससुराल कवर तेजा रे
रायमल जी री पे थारी गौरजा
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