रक्षाबंधन का इतिहास बताएगे -हिन्दी में
रक्षाबंधन त्यौहार का इतिहास व्दापर युग में भगवान विष्णु के समय से आरंभ होता है दैत्य का राजा बलि ने स्वर्ग व मृत्यु लोक पर अपना अधिकार करने के लिए 110 यज्ञ पूर्ण करता है इसलिए देवताऔ को स्वर्ग लोक की रक्षा के लिए भगवान विष्णु से चाहिता के लिए कहते हैं भगवान विष्णु वामन अवतार लेते हैं |और भगवान विष्णु राजा बालि के राज्य मे जाते हैं |राजा बालि यज्ञ पूर्ण कर बह्रामणो को दान देता है, उस समय भगवान वामन अवतार में राजा बालि से भीक्सा में तीन कदम जमीन मांगते है राजा बालि खुश होकर कहता है बह्मण देवता ले लिजीये |
राजा बालि तीन कदम जमीन दान कर देता है भगवान ने पहले कदम में स्वर्ग लोक मापते है और दूसरे कदम में मृत्यु लोक माप लेते हैं और भगवान वामन बोलते हैं कि में तीसरा कदम कह पर रहखु तो राजा बालि अपना सर पर रखने को कहते हैं तो भगवान तीसरा कदम राजा बालि के सर पर रखते हैं जिससे राजा बालि जमीन के गर्भ में चले जाते है उस समय भगवान से वचन लेता है राजा बालि कि आप मेरे सामने रहो यह वचन लेता है |भगवान राजा बालि के द्वारपाल बनते देख माता लक्ष्मी विसार में पडती है कि अगर भगवान बालि के पास रहे तो पुरे सृष्टि का किया होगा|
तो माता लक्ष्मी नारद देव को बुलाती है नारदजी माता लक्ष्मीजी को एक उपाय बताते है कि आप राजा बालि को राखी बांधकर भाई बना ले और राजा बालि से वचन ले लिजीये |
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मीजी ने राजा बालि को भाई बनाकर भगवान वामनजी को राजा बालि के वचन से मुक्त कराया थे |
उस दिन से राखी (रक्षाबंधन) का त्यौहार मनाया जाता है
यह त्यौहार भाई बहिन को हाथ पर धागा बांधकर बहिन की रक्षा करने का वचन देता है बहिन भी अपने भाई की रक्षा करने का वचन देती है
और भी प्रौराणिक कथा राखी ( रक्षाबंधन) का उल्लेख मिलते हैं
जैस की रानी कर्मावती अपने राज्य की रक्षा के लिए हिमायु को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा की थी
Happy rakshabandhan
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